आपकी आराधना - 1 Pushpendra Kumar Patel द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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आपकी आराधना - 1

[ Disclaimer ]


इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं,

अगर किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ इसकी समानता पाई जाती है तो यह मात्र संयोग है, इस कहानी का उद्देश्य किसी की धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। कृपया इसे मनोरंजन के आधार पर ही पढ़े।




भाग - 1 (प्रथम भाग)



"आराधना ..आराधना..

देखो, तो आज हमारा बेबी कैसा लग रहा?

आज तो इसके पप्पा ने तैयार किया है इसे"

अपने 3 साल के बेटे वंश को गोद मे उठाये हुए अमित ने अपनी पत्नी आराधना से कहा।


"अरे वाह so sweet मेरा राजा बेटा!

आज तो पापा ने ज्यादा स्मार्ट बना दिया,

मम्मा भी ready है तो चले अब मिनी के घर"

अपनी शॉप 'वंश क्लॉथ सेंटर' के काउंटर पर बैठी आराधना ने अपने बेटे को प्यार से पुचकारते कहा।


"माँ का फोन आया था, कह रही थी रक्षाबन्धन से पहले गाँव आ जाना, बाऊ जी ने ऐसा ऑर्डर दिया है"

अमित ने मुस्कुराते हुए आराधना से कहा।



" ठीक है ना जी!

कोशिश करेंगे, पर उसी सीजन में तो शॉप में रौनक बढ़ती है" आराधना ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा।


28 साल की आराधना अपने पति और बच्चे के साथ कोरबा शहर में रहती है उसके सास ससुर और एक देवर भी हैं

जो गाँव में ही खेती बाड़ी का काम देखते हैं।


"अभी मैं ऑटो से जा रही हूँ

आप शाम को मुझे कार से लेने आ जाना।

खाना मैं आकर बनाऊंगी,

चलो बेटा ! पापा को बाय बोलो"


अपने शॉप के शो रूम की सीढ़ियों से उतरती हुई आराधना ने अमित को बाय कहा और खड़ी होकर ऑटो का इंतजार करने लगी।

आज वह अपनी सहेली सुनीता से मिलने जा रही है अभी 2 महीने पहले ही तो उनकी मुलाकात वंश के प्ले स्कूल में हुई थी, पिछली बार जब सुनीता उसके घर आई थी तब से ही उसने जिद लगा रखी है, इसलिए अब फर्ज तो आराधना का बनता है उसके घर जाने का।

वैसे भी दिनभर शॉप पर बैठे - बैठे और वंश का ख्याल रखते उसे कहीं समय ही नहीं मिल पाता था घूमने फिरने का।



"लीजिए मैडम

ट्रॉन्सपोर्ट नगर आ गया,

कहाँ उतरेंगी आप?"

ऑटो वाले ने पूछते हुए आराधना से कहा।



" बस भैया!

यहीं पर ही जाना है मुझे"

अपना पर्स निकालते हुए आराधना ने ऑटो वाले से कहा।

ऑटो वाले को पेमेंट करने के बाद आराधना ने सुनीता को कॉल किया।


" Hello सुनीता,

मैं बस पहुँच गयी,

आप बाहर मिलिए"



" मैं तो बस आपके पीछे खड़ी हूँ

पलट कर देखिये"

सुनीता ने मुस्कुराते हुए जबाव दिया।



आराधना पीछे मुड़ी,

अपनी 4 साल की बेटी मिनी के साथ सुनीता रोड पर ही खड़ी थी ।

उसकी भी उम्र लगभग आराधना के ही समान है ।

उसके पति कॉलेज के प्रोफेसर और ससुर कृषि विभाग में कर्मचारी हैं ।

आराधना को सामने एक आलीशान मकान दिखाई दिया, जैसे 2- 3 साल पहले ही बनकर तैयार हुआ हो।



" How are you Aradhana?

और हमारा वंश बाबू कैसा है?"

Please come in.."

ऐसा कहते हुए सुनीता ने आराधना को अंदर बुलाया।



" I'm fine Sunita!

देखो न आपने कब से बुलाया था और मुझे आज आते बना,

वैसे मिनी बेटू का क्या हाल है?"

नन्ही मिनी की गाल सहलाते हुए आराधना ने कहा।



"आंटी को नमस्ते बोलो बेटा"

सुनीता ने मिनी का हाथ पकड़कर कहा।

उसने आराधना को अपने सास ससुर और पति रमेश से भी मिलाया।

वंश और मिनी को भी उन्होंने साथ में खेलने छोड़ दिया, प्ले स्कूल में तो दोनों एक ही साथ में पढ़ते हैं ।


"चल वंश तुझे अपनी toys दिखाती हूँ"

ऐसा कहते हुए मिनी वंश को अपने कमरे की ओर ले जाती है।


टेबल पर नास्ते का प्लेट रखा हुआ , हाथ में चाय की प्याली लिये आराधना और सुनीता गपशप में ही व्यस्त हो गये ।

तभी अचानक,

छोटी बच्ची मिनी भागते हुए आयी , वंश उसे पकड़ने की कोशिश करता है इतने में ही मिनी टेबल से टकरा जाती है और नाश्ते की प्लेट फर्श पर गिर जाती है।


"अले बेटू!

लगी तो नही ना,

कोई बात नहीं.


कमला...कमला...

जल्दी आओ जरा"

नन्ही मिनी को गोद में उठाते हुए सुनीता अपनी कामवाली बाई कमला को आवाज लगाती है।



"देखो बाबा!

चोट लग गयी न,

बोला ही था दौड़- भाग मत करो"

आराधना ने भी वंश को समझाते हुए कहा।



"जी मैंम साब"

अंदर से कमला झट से आ खड़ी हुई।


आधे सफेद बाल, थोड़ी सी फटी हुई सफेद साड़ी और चेहरे पर नीरसता कमला कोई 56- 57 की महिला लगी।

आराधना ने कमला को अचानक देखा, मानो उसकी तो साँसे ही रुक गयी, ऐसे लगा जैसे कोई भूचाल आ गया हो और उसकी आंखें पथरा सी गयी ।


कमला फर्श पर पड़े प्लेटों के टुकड़े उठाने लगी , उसने भी आराधना को देख लिया। उसकी भी नजरें अब धुँधली सी हो गयी,

शायद वह कोशिश करने लगी उसे पहचाने की और न जाने क्यों उसकी आँखों से आँसुओ की धारा बह आयी,उसके मुँह से कुछ बोल फूट पड़े पर वह इतने धीमे थे कि कोई भी न सुन सका।

आराधना झट से खड़ी हो गयी, और सहम सी गयी,

उसने वंश का हाथ जोर से पकड़ लिया।


"क्या हुआ आराधना?

एकदम से अचानक क्या हुआ?

ये तो कमला है हमारी नौकरानी

बेसहारा और गरीब है, समझो अनाथ ही है बेचारी,

इसलिए मैंने इसे काम पर रख लिया है" सुनीता ने कमला का परिचय देते हुए आराधना से कहा।

और कमला को अंदर जाने के लिये बोला।


बेसहारा, गरीब, अनाथ ये तीनों शब्द आराधना को चुभ गये।उसके अंदर सिहरन सी पैदा हो गयी और उसके होंठ कंपकपाने लगे,मानो किसी ने उसे तीर मार दिया हो।



"Nothing Sunita..

कुछ पुरानी बातें याद आ गयी

मुझे अब चलना चाहिए , बहुत देर हो गयी है"

उसने अपने आप को सँभालते हुए कहा।



तभी उसका मोबाईल vibrate हुआ,ये तो अमित का कॉल है उसने झट से कॉल रिसीव किया।


" मैं पहुँच गया जी

अंदर आ जाऊँ क्या "

कॉल पर अमित की आवाज सुनाई दी।


" नहीं! मैं बाहर आती हूँ,

आप वहीं रुकिये" आराधना ने एकदम से घबराकर जवाब दिया।


" पहली बार अमित जी आयें हैं ,उन्हें भी घर देख लेने दीजिये।ऐसी क्या बात हुई " सुनीता ने बाहर की ओर झाँकते हुए कहा।


आराधना का सिर अब चकराने लग गया, उसने बताया कि कोई जरूरी काम आ गया है इसलिए उन्हें जाना होगा।

वंश को सीने से लगाये हुए आराधना दरवाजे से बाहर निकलती है।


"फिर आना बेटी!

बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर" सुनीता की सास ने आराधना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।


पर उसने सारी बातों को अनसुना कर दिया और कार में जाकर बैठ गयी।

कार में बैठे अमित ने सुनीता और उसकी सास को दूर से देखकर ही अभिवादन किया और कार स्टार्ट किया।


"मम्मा हम मिनी के घल से क्यों आ गए?" नन्हे वंश ने तुतलाते हुए आराधना से पूछा।

आराधना ने कोई जवाब नही दिया।


"क्या हुआ आराधना इतनी परेशान क्यों लग रही हो? वंश कुछ पूछ रहा है?

वहाँ कोई बात हो गई क्या?"

अमित ने आराधना की ओर देखकर कहा।


"ऐसी कोई बात नहीं जी,सिर में थोड़ा दर्द होने लगा है घर चलकर बात करते हैं न"

आराधना ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा।



अमित अब सोंच में पड़ गया ऐसी क्या वजह है जो आराधना का मूड ऑफ हो गया, जाते वक्त तो सब कुछ ठीक था।

कुछ तो है जो उसे अंदर ही अंदर काट रहा है,इतने सालों में उसे इतना परेशान कभी नही देखा।


"चलो बेटा घर आ गया, नींद से जागो अब" अमित ने वंश को जगाते हुए कहा जो कुछ देर पहले आराधना की गोद में ही सो गया था।


आराधना वंश के साथ अंदर गयी, अमित भी कार खड़ी करके उसके पीछे गया।

उसने वंश को अपनी गोद में लिया और फिर परेशानी की वजह पूछने लगा, पर आराधना ने कहा कि वंश को भूख लगी होगी इसलिए वह फ्रेश होकर सबसे पहले खाना बनाएगी।



क्रमशः....